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जम जाते है क्यों रिश्ते बर्फ़ की तरह

सोचता हूं कभी कभी
क्यों हो जाते है शुष्क
जम जाते है क्यों रिश्ते
बर्फ़ की तरह

लेकिन तभी लुड़क पडते है
गर्म गर्म आंसू
नर्म रुखसारों पर
पिघल जाती है सारी बर्फ़
रिश्तों की |

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