तुम्हारे हाथ में अपनत्व की
जो कुछ लकीरें हैं
उन्हीं में एक मैं भी हूँ
जरा सा गौर से देखो।
आईना सामने रख
खुद की नजरों में जरा देखो,
मिलूंगा नीलिमा में तुम
जरा सा गौर से देखो।
कहीं राहों में जब मुश्किल
खड़ी हो सामने कोई,
मिलूंगा साथ देता तुम
जरा सा गौर से देखो।
हर खुशी हो तुम्हारी बस
मुझे इतनी ही अभिलाषा
मित्र हूँ एक अदना सा
जरा सा गौर से देखो।