सबसे भयानक मंजर
वह होता है,
जब जहर उगलने वाला
खुद को विदूषक
समझने लगता है।
मन में इर्ष्या जलन और
खुद ही पाऊँ और न पायें
की भावना रखकर
कुएँ के मेढ़क की तरह
उछलने लगता है।
सबसे भयानक मंजर
वह होता है,
जब जहर उगलने वाला
खुद को विदूषक
समझने लगता है।
मन में इर्ष्या जलन और
खुद ही पाऊँ और न पायें
की भावना रखकर
कुएँ के मेढ़क की तरह
उछलने लगता है।