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ज़रा ठहर कर

मैं हंसी तो हंस दिया,
संग मेरे ये जहां।
वरना ,किसी को, किसी के,
अश्क देखने की फुर्सत कहां।
इसलिए .गम अपने छिपाकर,
मैं भी, हंस लेती हूं यहां।
कलम चलाकर कर लेती हूं,
दिल के जज्बातों को बयां ।
ज़रा ठहर कर, कौन किसकी सुनता है यहां।

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