जाड़ा का मौसम बड़ा सुहाना।
भाँति -भाँति के बनते खाना।।
गाजर का हलुआ सबको प्यारा।
खाओ मूंगफली भगाओ जाड़ा।।
गाजर शलग़म मूली का अचार।
बड़े स्वाद लेकर खाए सब यार।।
आंवले को खा पानी पीना।
मूंह का मीठा -मीठा होना।।
च्यवनप्राश भी खाने को मिलते।
गेंदा गुलाब के फूल भी खिलते।।
ताजे -ताजे गुड़ भी घर में।
घच्चक रेवड़ी सजा शहर में।।
ऐसा सुंदर शरद है काल ।
हम बच्चे हो गए निहाल।।
*************बाकलम********
बालकवि पुनीतकुमार ‘ ऋषि ‘
बस्सी पठाना (पंजाब)