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जाने कहाँ चले जाते हैं

जाने कहाँ चले जाते हैं
सांस उखड़ी, धड़कन रुकी
उड़ जाते हैं पखेरू, फिर
जाने कहाँ चले जाते हैं।
कुछ देर पहले ही बोलना
सारी संवेदना महसूस करना
कुछ देर बाद ही मौन हो जाते हैं
जाने कहाँ चले जाते हैं।
क्या बनाया है मायाजाल
जाने तक उसी में समाये रहते हैं,
सोचते हैं कभी नहीं जाऊंगा
लेकिन जाने का पता ही नहीं लगता,
जाने कहाँ चले जाते हैं।

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