वो, लेखन में मेरी
बहुत मदद करता था
कहीं कुछ कभी
ग़लत लिख देती
तो, काट के ठीक
किया करता था
सुन्दर-सुन्दर समीक्षाएं भी
उसके ही दम पे
किया करती थी
वो ना दिखता था
तो कितनी डरा करती थी
ये राज़ की बात है,
आज बताती हूं
जाने कहां चला गया,
वो मेरा गुलाबी पैन..
आज उसकी स्याही
ख़तम हो गई..
*****✍️गीता