*जाने कहां चला गया*
वो, लेखन में मेरी
बहुत मदद करता था
कहीं कुछ कभी
ग़लत लिख देती
तो, काट के ठीक
किया करता था
सुन्दर-सुन्दर समीक्षाएं भी
उसके ही दम पे
किया करती थी
वो ना दिखता था
तो कितनी डरा करती थी
ये राज़ की बात है,
आज बताती हूं
जाने कहां चला गया,
वो मेरा गुलाबी पैन..
आज उसकी स्याही
ख़तम हो गई..
*****✍️गीता
Kya baat hai
सुंदर
बहुत ही सुंदर हास्य रचना है, पहले ऐसा लगा कि यह क्या लिखा होगा क्यों लिखा होगा, लेकिन जब अंत तक पढ़ा तो पता चला कि यह एक बेहतरीन हास्य रचना है। इस विलक्षण प्रतिभा को सैल्यूट। बहुत खूब रचना
कविता की इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी । हास्य रचना में यदि कोई हंसे ही नहीं तो रचना कार कुछ मायूस सा हो जाता है, बुझ सा जाता है फिर हास्य लिखने की हिम्मत ही नहीं होती । आपका बहुत बहुत आभार कि आपने इस प्रतिभा को पहचाना,और इसे विलक्षण भी बताया ।🙏🙏 अभिवादन सर..