जितने बदले नंबर तुमने
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जितने बदले नंबर तुमने
हर नंबर तेरा मिल सकता ,
स्वाभिमान है बीच में आता है,
क्योंकि तुने ही मुझे ठुकराया है,
मत सोच हमें कोई नहीं मिल सकता,
पहले ,
अब भी ,
मिले थे ,कईयों चेहरे,
खुदा ही जाने क्यों तेरा चेहरा भाता है,
रोने के लिए या-
कुछ करने के लिए,
खुदा ने ऐसा दिन दिखलाया है,
बस इतना किसी के फोन से कह दे,
हां जहां भी हूं ,खुशहाल हूं मैं,
क्योंकि बीत गए वर्षों मेरे
खबर तेरी नहीं पाया हूं
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**✍ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’—-