जीवनसमुद्र Bhargav Patel 7 years ago कट जाते है दिन पैसो की झनकार सुनने के लिए | किन्तु रात आते-आते शुष्क पड़ जाता है वह जीवनरस; जिसे पीने के लिए मथते रहते है जीवनसमुद्र | -Bhargav Patel (अनवरत)