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“जीवन का अभिशाप”

लुटा हुआ सँसार जब
देखे है रानी गुड़िया
सिसक सिसक रह जाती है
मन ही मन ढलकाती
आँसू के अंगारे
कैसी विपदा आन पड़ी
जो बिछड़ गए माँ बाप
प्रेम ही अब तो हो गया
जीवन का अभिशाप।

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