जुस्तजू इलज़ाम बन गई

जुस्तजू इलज़ाम बन गई
जुस्तजू जो खुद को खोने की थी

Related Articles

यादें

बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…

आहुति

आहुति ——– अम्मा! तुमसे कहनी एक बात.. कैसे चलीं तुम? बाबूजी से दो कदम पीछे… या चलीं साथ। कैसे रख पाती थीं तुम बाबूजी को…

चिट्ठी

प्यारी गौरैया! आज तुम्हें इतने दिनों बाद अपनी छत पर देख अपने बचपन के दिन याद आ गए ,तब तुम संख्या में हमसे बहुत ज्यादा…

Responses

+

New Report

Close