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जो भी दिल में है छुपा मुझको तो दिखा दीजे

जो भी दिल में है छुपा मुझको तो दिखा दीजे,

जो ज़ुबा तक न आ सके तो आँखों से जता दीजे,

 

प्यार है हमसे तो खुल कर के ही बयां कीजे,

न हो कोई बात तो इशारे में ही ये खता कीजे,

 

यूँ तो ख़्वाबों में बनाई हैं बातें कितनी,

न हो मंज़ूर तो गुज़ारिश है के भुला दीजे,

 

रखके सीने से लगाई हैं यादे तेरी,

अब सरेआम न इनको  यूँ हवा दीजे,

 

जो भी दिल में है छुपा मुझको तो दिखा दीजे॥

राही (अंजाना)

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