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जो सोया है अंधकार में…!!

जो सोया है अन्धकार में
जागेगा नवल प्रभात

उठ-उठकर देखेगा किरणें
सूर्योदय सम होगा ललाट

रजत-चाँदनी में स्वप्न को
नित पुष्पित कर देखेगा

नारी सम्मोहन छोंड़ कवि
अब प्रगतिवाद में चमकेगा

बहुत हुआ प्रज्ञा! अब जीवन
किसलय सम पुष्पित होगा

तेरे अन्तस में सुन्दरतम्
उच्छवास होगा

तेरे मन-मण्डप में दुल्हन
सरिस सजेगी कविता

पाकर तेरे भाव सौष्ठव
बन बैठेगी वनिता ||

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