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ठंडक सी है

अब शाम में थोड़ा
ठंडक सी है,
शीतल मधुर यह
चंदन सी है।
वसन ओढ़ने की
जरूरत बनी है,
मगर चांदनी से
मुहब्बत बनी है।
सितारों से मन की
आज ही ठनी है,
नजर झुक रही है
भौंहें तनी हैं।

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