ढह गए कितने ही ईमान ऐ मकाँ एक बोतल की चाहत में राही अंजाना 6 years ago ढह गए कितने ही ईमान ऐ मकाँ एक बोतल की चाहत में, मगर बोतल ने बिक कर भी अपना ज़मीर नहीं छोड़ा।। – राही (अंजाना)