Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
बोतल
ढह गए कितने ही ईमान ऐ मकाँ एक बोतल की चाहत में, मगर बोतल ने बिक कर भी अपना ज़मीर नहीं छोड़ा।। राही (अंजाना)
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
कलम
चाहे बिक जाएँ मेरी सारी कविताएं पर, मैं अपनी कलम नहीं बेचूंगा, चाहे लगा लो मुझपर कितने भी प्रतिबन्ध पर, मैं अपने बढ़ते हुए कदम…
” मौत करती है रोज़ “
मौत करती है नए रोज़ बहाने कितने ए – अप्सरा ये देख यहाँ तेरे दीवाने कितने मुलाक़ात का इक भी पल नसीब ना हुआ…
बहुत खुब
Thank you
Nice