“ढ़ूढ़ता हूँ” Ushesh Tripathi 8 years ago ना जाने किस भँवर में हूँ इक ठिकाना ढ़ूढ़ता हूँ, जिन्दगी जी लूँ ज़रा सा बस फ़साना ढ़ूढ़ता हूँ, प्यार की कश्ती में लगता डूबता ही जा रहा हूँ, मौत से मिल जाऊँ इक दिन बस बहाना ढ़ूढ़ता हूँ