Site icon Saavan

तन्हाई हैं…

दुनिया देखूं या खुद को देखूं , ये कैसी घड़ी आई हैं
सब कुछ होकर भी हम अकेले, यह कैसी तन्हाई हैं

ख़ुद की इच्छा मार कर मैंने, जो दुनिया संग दोस्ती बड़ाई हैं
आज जो खोजू आइने में ख़ुद को, अब मिलती नहीं वो परछाई हैं

दुनिया को कुछ क्षण छोड़ जो, तुझ संग आस लगाई थी
तू भी हुआ वो बेररवाह, इस कारण पैंरो में बेड़िया पाइ थी।

ख़ुदा करें तुझे मिले इतनी तरक्की, जिसकी ख्वाब में न सोची हों,
जब तू वहाँ से देखे मुझे, मैं तुझे कहीं न मिलूं
खोजे गलियों-चौबारों में, मेरा कतरा भी न दिखाई पड़ें।

इतना हो कर फिर तू बोलें
दुनिया देखी न पर तू न मिली, यह कैसी घड़ी आई हैं।
मेरी तरक्की में शामिल नहीं तू, यह कैसी कामयाबी मैने पाई हैं..
आज सर्वस्व हो कर भी अकेला… यह कैसी-सी तन्हाई हैं।।

HEMANKUR❤️

Exit mobile version