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तबाही ज़िन्दगी की

दिल ही तो मांगा था

कौन सी कायनात मांंग ली

जो शब्दो में उलझा कर

मेरे दिल को ताार तार दिया

गुनाह तो नही प्यार करना

जो मुुुझे तबाह कर दिया

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