हम तुम पले – बढ़े अपने ही भारत के गोद में।
फिर क्यों दरार पड़ी है आज अपने ही रिश्ते में।।
देखो कैसे चली आज चारो तरफ नफरत की आँधी।
कैसे क़त्ल पे क़त्ल कर रहे अमानुष मनुष्य के भेष में।।
हम किसी से कम नहीं बस यही घमण्ड है सभी को।
चिराग जलाओ भटक गये है इंसान नफरत के भीड़ में ।।
आज अपने ही घर में आग लगा कर चिल्लाते है ‘बचाओ’।
परेशान हो गए आज हम और तुम अपने ही समाज में ।