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तुमको लिखा करूंगी

अब से मैं प्यार लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी

वो शामें मेरी ,जो तुम पर

उधार हैं , उन पर

ख्वाब लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी

वो गलियाँ जिन पर तेरे

वापस आने के निशान नहीं

उन पर इंतजार लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी

धड़क जो हुई कुछ तेरे नाम

सा सुन कर

उन पर एहसास लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी

कभी जो मायूसी मुझसे

आ लिपटी

उन पर शाद लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी

दर्द और ज़िन्दगी

दोनों तुमसे मिले

उन पर ख्याल लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी

जो न कह पाऊँगी अब

तुमसे कभी

उन पर कविता लिखूंगी

तो तुमको लिखा करूंगी ….

और इस तरह तुम्हारी

याद में

तुमको भुलाने

तुमको लिखा करूंगी….

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

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