बार-बार वही खत खोलकर
पढ़ती हूँ मैं
कि आखिर क्या लिखा
करते थे तुम हमारे लिये
उठाकर तुम्हारा खत
सीने से लगा लेती हूँ
जब भी कभी तुम्हारी याद आती है
यूँ महसूस कर लेती हूँ
जैसे तुम ही आ गये हो
बाँहों में….
बार-बार वही खत खोलकर
पढ़ती हूँ मैं
कि आखिर क्या लिखा
करते थे तुम हमारे लिये
उठाकर तुम्हारा खत
सीने से लगा लेती हूँ
जब भी कभी तुम्हारी याद आती है
यूँ महसूस कर लेती हूँ
जैसे तुम ही आ गये हो
बाँहों में….