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तुम्हारा ललित रूप

छोटी- छोटी पंक्तियाँ हैं
ये जो शायरी की मेरी,
इन्हीं में तुम्हारी सब
खूबसूरती है भरी।
उपमान नए औऱ पुराने
मिला जुला के,
वर्णन जैसा भी किया
सच सच किया है।
देर रात चाँद आया
तब तक सो गए थे,
आधी नींद आ गई थी
शाम होते खो गए थे।
अंधेरे में ढूंढते ही
रह गए थे सौंदर्य को
खोजना था चाँदनी में
खुद हम खो गए थे।
जैसे जैसे सुबह में
आँख खोली रोशनी ने
तुम्हारा ललित रूप
देखते ही रह गये थे।

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