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तुम्हारी मुस्कुराहट में

आज तुम्हारी
मुस्कुराहट में
वो बात दिख रही है,
जिस पर लिखने को
कलम – कागज लिए
हजारों हाथ भी
काँपते हुए, घबराते हुए
असहाय होकर,
नहीं लिख पाते हैं, सीधी कविता।
असहाय हाथ, उलझी कविता,
असहाय शब्दों की कठोरता,
तोड़ देती कलम
झटक देती है हाथ,
लय भी छोड़ देती है साथ।
आंखें शरमा जाती हैं,
उसी अवस्था में पहुंचा कवि
व उसकी कलम
अवाक सी
इस मुस्कुराहट पर स्थिर हो गई है।

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