तुम्हारी सिसकियां Pragya 3 years ago तुम्हारी खामोशी अब मेरे कानों को सुनाई देती है तुम्हारी सिसकियां मेरे हृदय को व्यथित करती हैं तुम्हारे निश्चल प्रेम को मैं समझ ना सकी वक्त रहते मैं संभल ना सकी क्या करूं अब ह्रदय को आराम नहीं मेरे हृदय में तू ही तू है और किसी का नाम नहीं ।।