तुम्हारी सिसकियां
तुम्हारी खामोशी
अब मेरे कानों को सुनाई देती है
तुम्हारी सिसकियां
मेरे हृदय को व्यथित करती हैं
तुम्हारे निश्चल प्रेम को
मैं समझ ना सकी
वक्त रहते मैं संभल ना सकी
क्या करूं अब ह्रदय को आराम नहीं
मेरे हृदय में तू ही तू है
और किसी का नाम नहीं ।।
बहुत सुंदर
धन्यवाद