तुम अक्सर आकर अपने मन की खुल के मुझसे कह लेती हो राही अंजाना 6 years ago तुम अक्सर आकर अपने मन की खुल के मुझसे कह लेती हो, धूप लगे जब तुमको मेरी छाया में तुम सो लेती हो, बहुत अकेला मैं भी सुनके चुप-चाप खड़ा रहा जाता हूँ, जब मुझको कटता देख के भी तुम चुप्पी साधे रह लेती हो।। – राही (अंजाना)