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तूं मेरा आधार है…………..

है कठिन जीवन बहुत,

चहुं और हाहाकार है

बोझ घर का सर पे है,

हर चीज की दरकार है।

बहन शादी को है तरसे,

भाई तक बेकार है

मात—पिता चुप हैं दोनों,

थक चुके लाचार हैं।

मैं अकेला लड रहा हूं,

तीर ना तलवार है

खट रहा हूं, बंट रहा हूं,

घुट रहा घर—बार है।

हौंसला देता है मुझको,

एक तेरा प्यार है

तूं जमीं, तूं आस्मां,बस,

तूं मेरा आधार है।

——-सतीश कसेरा

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