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तेरा प्यार अनंत है माँ

हर पल मेरी परवाह करते

थकती क्यों तू न है,

माँ मुझको इतना बतला दे

तेरा भी क्या सपना है।।

 

चंदा मामा के किस्से कहकर

कैसे हँसते-हँसते तू लोरियाँ सुनाती थी

माँ मझको इतना बतला दे

इतना स्नेह कैसे तू लूटा पाती थी

 

तुझसे जो थोड़ा दूर हो जाऊँ

पल-पल मझसे तू पूछते जाती थी

कैसा है बेटा कहकर,

खाना समय से खा लेने की सलाह दे जाती थी

 

मेरे सपने को अपना कहकर

निस्वार्थ प्रेम जो तूने दिखलाया

हर पल प्यार के मायने को

तूने बेहतर ढंग से समझाया

 

मेरी कोशिश हर पल है तुझको इतना सुकूँ दूँ

जब-जब तू हँस दे ख़ुशियों से,

मन को मेरे भी मैं तब सुकूँ दूँ,

 

तेरा प्यार अनंत है माँ,

अब शब्दों में कितना वर्णन करूँ

ईश्वर की इस अद्भुत रचना को मैं बस

अब तो हर पल नमन करूँ।।

 

-मनीष

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