तेरा सजदा – 115
कोई जग की बेजड़-सोचें छोड़, तेरी ही सोच मन मन्दिर रचाई है
कोई जग की सब सोचे जोड़, सिर्फ़ तेरी सोच ही बस भुलाई है
…… यूई
तेरा सजदा – 115
कोई जग की बेजड़-सोचें छोड़, तेरी ही सोच मन मन्दिर रचाई है
कोई जग की सब सोचे जोड़, सिर्फ़ तेरी सोच ही बस भुलाई है
…… यूई