जब चारों ओर कीचड़ दिखा, असमंजस तेरे अंदर है।
नादान बला, आईना वो नहीं, तेरी रूह तो कमल सी सुंदर है।।
दिखा हर तरफ एक धुआँ तुझे, कहीं आग लगी भयंकर है।
जग छान लिया, कुछ मिला नहीं, मुई आग वो तेरे अंदर है।।
मत बुझा उसे, वो भड़कने दे, जैसे आग का समुन्दर है।
अपनी ज़िन्दगी बेफिक्र तू लिख, तेरी कहानी का तू सिकंदर है।।
गर हुआ सामना क़ातिल से, और पड़ते दिल पे खंजर हैं।
कोई रोक सके तो रोके ज़रा, तू भी क्या कम बवंडर है !!