तेरे अंतस् में सखी… Pragya 3 years ago तेरे अंतस् में सखी उठा है जो भी ताप कल वह सब बुझ जाएगा जब आएगा नवल प्रभात इच्छा यह मेरी है कि विजय होगी तुम्हारी जिस कारण तुम रूठी वह बातें मिथ्या सारी तेरी मंजिल तुझको कल मिल जाएगी प्रज्ञा फिर भी यहीं रहेगी लौट कहीं ना जाएगी….