तेरे अंतस् में सखी…
तेरे अंतस् में सखी
उठा है जो भी ताप
कल वह सब बुझ जाएगा
जब आएगा नवल प्रभात
इच्छा यह मेरी है कि विजय
होगी तुम्हारी
जिस कारण तुम रूठी
वह बातें मिथ्या सारी
तेरी मंजिल तुझको कल मिल जाएगी
प्रज्ञा फिर भी यहीं रहेगी
लौट कहीं ना जाएगी….
वाह
Thank you so much
Great
बहुत-बहुत आभार
Bahh…. amazing words
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद