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तो मैं भी कवि नहीं

दो पंक्तियाँ तुम पर न लिख पाऊं
तो मैं भी कवि नहीं,
स्वप्न तक शायरी न पहुंचाऊं
तो मैं भी कवि नहीं।
जब कभी मन टूट कर
बिखरा हुआ हो, दर्द हो,
दर्द तक मलहम न पहुंचाऊं
तो मैं भी कवि नहीं।

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