तज़ुर्बा Prayag Dharmani 4 years ago ‘दिखा दिया ये तज़ुर्बा भी ज़िन्दगी ने हमें, हैं कितने शख्स ज़हर, और दवा है कितने.. न रोशनी को इल्म, न ही चिरागों को पता, है कितने बुझने और मंज़ूर-ए-हवा हैं कितने..’ – प्रयाग मायने : इल्म – ज्ञान