जब तक तेरे कदम तल
मंजिल शिखर न चूमें
थकना नहीं है राही
चलते ही रहना तब तक।
टकरा ले पर्वतों से
तू शक्तिपुंज बनकर,
अपनी जगह बना ले
अपनी भुजा के बल पर।
जब तक तेरे कदम तल
मंजिल शिखर न चूमें
थकना नहीं है राही
चलते ही रहना तब तक।
टकरा ले पर्वतों से
तू शक्तिपुंज बनकर,
अपनी जगह बना ले
अपनी भुजा के बल पर।