गलतफ़हमीं में जी रहे हो ‘हुज़ूर’ दर्द क्या होता हैं तुम्हें क्या मालूम,
ज़रा पूछो उनसे जिनके अश्कों को पलकों का सहारा नहीं मिलता,
गलतफ़हमीं में जी रहे हो ‘हुज़ूर’ दर्द क्या होता हैं तुम्हें क्या मालूम,
ज़रा पूछो उनसे जिनके अश्कों को पलकों का सहारा नहीं मिलता,