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दादी माँ

आंगन में बैठी एक टक निहार लेती है
चलती धीरे पर काम तेजी से कर लेती है
पढ़ना कम आता है पर दुनिया का पाठ पढ़ा देती है
डॉक्टर नहीं पर हर दर्द ठीक कर देती है
दादी माँ की बात ही निराली है
तुम्हे मिले सबसे ज्यादा इसलिए बादमे वो खाती है
तुम सो चैन से इसलिए बादमे वो सोती है
दिखा ख़ुशी का चेहरा अपने दुःख में अंदर ही अंदर रोती है
साक्षात् भगवन भी इनसे मार्ग दर्शन लेता है
सफल वो ही ज़िन्दगी में जो इनसे आशीर्वाद लेता है
चारो धाम का पुण्य मिले जो इनकी सेवा करता है
जो इनके साथ रहे वो किसी मुश्किल से नहीं डरता है
माँ का दर्जा ऊंचा है
पर इनका उनसे भी ऊँचा है
इनके बताने पर ही सही दिशा पर चलती दुनिया सारी है
दादी माँ की बात ही निराली है

हिमांशु के कलम की जुबानी

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