कोई तो रंग मिलाया जाये
दिल का धुंआ भी तो देखा जाये।
बेबसी ये कि रोक भी न सको
और कोई पास से चला जाये।
जहां सेे भूले थे घर का रस्ता
फिर उसी मोड़ पे जाया जाये।
आईने और कितने बदलोगे
अक्स अपना कभी बदला जाये।
जिदंगी की किताब देखें जरा
कोई तो लफ्ज समझ में आये।
वक्त की तरह मिला हूं उनसे
क्या पता लौटकर न हम आये।
…………सतीश कसेरा