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दिल में बैठाया करता हूँ

ज्वाला मेरी क्षीण नहीं
मैं खुद को मंद रखा करता हूँ
धीमे-धीमे जलता हूँ,
खुद में स्वच्छन्द जिया करता हूँ।
सच्चे दिल के लोगों को
दिल में बैठाया करता हूँ,
सच्चे मित्रों की महफ़िल में
मैं प्रेम लुटाया करता हूँ।

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