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दीवाने

तलाशी जिस्म की खुलेआम दे दी।
सब दिखाया पर दिल दिखाया नहीं।

ढूढ़ते रहे हार के लौटना पड़ा सबको,
जब हाथ लगाया दिल धड़काया नहीं।

ढूंढते ढूंढते रात दिन हाथ से निकले,
रूह में रहे वो हम ही को बताया नहीं।

सबके सामने खुले आम जीते रहे हम,
हमने तो सच किसी से छिपाया नहीं।

उनकी यादों में दीवाने हुए इस कदर,
आँखों को भिगाया राही सुखाया नहीं।

राही अंजाना

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