दुःखी क्यों होते हो मित्र
मैं बढ़ रहा हूँ,
तुम भाग्य से पा चुके हो
में संघर्ष से पा रहा हूँ।
तुम कहते हो तो रुक जाता हूँ
गुमनाम हो जाता हूँ,
तुम्हारे या तुम्हारे अपनों के लिए
अपने कदमों को यहीं पर
विराम दे जाता हूँ।
दुःखी क्यों होते हो मित्र
मैं बढ़ रहा हूँ,
तुम भाग्य से पा चुके हो
में संघर्ष से पा रहा हूँ।
तुम कहते हो तो रुक जाता हूँ
गुमनाम हो जाता हूँ,
तुम्हारे या तुम्हारे अपनों के लिए
अपने कदमों को यहीं पर
विराम दे जाता हूँ।