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दुआओं की पोटली

खुश रहो कहकर,
दुआओं की पोटली
माता-पिता ने,
चुपके से सर पर छोड़ी।
पता भी न चलने दिया,
हर बार यही किया।
और हम नासमझ,
ज़िंदगी भर कामयाबी को,
अपना मुकद्दर मानते रहे।।
_____✍️गीता

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