दुआओं की पोटली

खुश रहो कहकर,
दुआओं की पोटली
माता-पिता ने,
चुपके से सर पर छोड़ी।
पता भी न चलने दिया,
हर बार यही किया।
और हम नासमझ,
ज़िंदगी भर कामयाबी को,
अपना मुकद्दर मानते रहे।।
_____✍️गीता

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Responses

  1. माता-पिता का आशिर्वाद होता ही ऐसा है। कवि गीता जी की कलम ने बहुत सुंदर प्रस्तुति दी है। वाह, अति उत्तम रचना।

    1. इस सुंदर एवम् उत्साह वर्धक समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी,अभिवादन सर

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