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दुआ …

एक सुबह दे दे ऐसी ,
जो मेरा इंसाफ क़र दे!
एक शाम बीता दे ऐसी ,
जो मेरे गुनाह माफ़ कर दे !
तमाशा बहुत हो गया बनने
और बिगड़ने का,
अब तो कोई ख्वाब अपनी अमानत
समझकर अदाकर दे !

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