दुआ … Neetika sarsar 7 years ago एक सुबह दे दे ऐसी , जो मेरा इंसाफ क़र दे! एक शाम बीता दे ऐसी , जो मेरे गुनाह माफ़ कर दे ! तमाशा बहुत हो गया बनने और बिगड़ने का, अब तो कोई ख्वाब अपनी अमानत समझकर अदाकर दे !