ढूढ़ते हैं रब को हम
मंदिरों, गिरिजाघरों में
भूल जाते हैं कि ईश्वर
हैं स्वयं अपने घरों में।
देख लो माँ-बाप को
ईश्वर दिखेगा आपको
बस जरा सच्ची नजर हो
रब दिखेगा आपको।
जो घरों में कष्ट देते हैं
ज़ईफ़ मां-बाप को,
वे नहीं ईश्वर को पाते
हैं कमाते पाप को।
रब को पाना है तो तुम
माँ-बाप की सेवा करो
वे ही सच में ईश हैं
उनकी तरफ देखा करो।