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दोस्ती के नाम

सुमन सी सुगंधि रहे,
जीवन में तुम्हारी
कांटा भी ना आए कभी
राह में तुम्हारी
आया तो शामिल होगी
मेरी भी आह..
हर आह में तुम्हारी
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में,
कल रहूं, ना रहूं
दोस्ती तो रहेगी
दोस्ती सच्ची थी हमारी
रूह से रूह तक का
था वो सफर
हमीं को हमारी
लगी थी नज़र
कब हुआ सब ये हुई ना ख़बर
ज़ुबां चुप रही,
आंखें मगर सब राज़
कह गई तुम्हारी
मन की बात कह ही गई
आज लेखनी हमारी
कांटा भी ना आए कभी
राह में तुम्हारी..
आया तो शामिल होगी
मेरी भी आह हर आह में तुम्हारी…
_____✍️गीता

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