Site icon Saavan

दौड़ते रहता है समय

निरंतर चलते रहता है
दौड़ते रहता है समय,
वो देखो भाग रहा है समय
दौड़ रहा है समय।
हम कितना ही चाहें
नहीं रोक सकते
उसकी गति को,
वक्त की पटरी पर
हमें दौड़ना पड़ता है।
रुकना नहीं
दौड़ना पड़ता है,
रात बीती, दिन बीता
महीने बीते, साल बीता,
इसी तरह जीवन बीत जाता है,
कल करूँगा का सपना
सपना ही रह जाता है।
विद्वान राजा भ्रतुहरि ने
ठीक कहा था,
कि “समय को हम नहीं भोगते हैं
बल्कि हम समय द्वारा भोगे जाते हैं,
समय व्यतीत नहीं होता है,
बल्कि हम व्यतीत हो जाते हैं।”
व्यतीत ही तो हो रहे हैं
दिन हमारे,
आज-कल-परसों,
जनवरी-फरवरी—दिसम्बर।
समय भागता जा रहा निरन्तर।
हमें भी उसकी गति अनुरूप
बढ़ाने होंगे कदम
तभी अभीष्ट हासिल
कर पायेंगे हम।

Exit mobile version