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धरा की पुकार

समय बदल गया , बदल गया दुनिया का दस्तूर। आज धरा मां पुकार रही होकर के मजबूर ।कभी सेहेती थी वाहन देती थी सारे सुख भरपूर । आज धरा मां पुकार रही हो कर के मजबूर । हे पृथ्वी पुत्रो ! जाग जाओ छोड़ो आलस और गुरुर , कभी वह आपने पुत्रो को लेकर के गोद में करती थी सुख भरपूर आज धरा मां पुकार रही हो कर के मजबूर

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